महिला आरक्षण बिल क्या होता है, जाने एकदम सटीक जानकारी

आज कल महिला आरक्षण बिल काफी चर्चा का विषय बना हुआ है, और बहु त्से ऐसे लोग है जिन्हें इसके बारें में कुछ नही पता है उनके मन में एक सवाल आता है कि महिला आरक्षण बिल क्या होता है, इस बात को ध्यान  में रखते हुए आज इस लेख में आपको महिला आरक्षण से सम्बंधित सभी जानकारी विस्तृत रूप में बताई जाएगी कृपया बने रहें इस लेख में –

महिला आरक्षण बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है. उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था. लेकिन यह पारित नही हो सका बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था. इस bill में विधान सभा में महिलाओं के लियें 33% सीटे आरक्षित हुई, जिसमे अनुसूचित जाति, जनजाति और जनरल को शामिल किया गया और अन्य पिछड़ा वर्ग को नही. आइयें आगे जानते है विस्तार से mahila aarakshan bill 2023 के बारे में –

महिला आरक्षण बिल क्या होता है

महिला आरक्षण बिल क्या होता है

Mahila aarakshan bill एक ऐसा विधेयक है जो भारत की संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण प्रदान करता है। यह विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है। इस बिल को 2023 में संसद के विशेष सत्र में पारित किया गया था और यह 2024 के आम चुनावों से लागू हो जाएगा।

Mahila aarakshan bill का उद्देश्य भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। वर्तमान में, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या केवल 14% है और राज्य विधानसभाओं में यह औसतन 10% है।

महिला आरक्षण बिल के लाभ एवं फायेदे –

  1. भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी और समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार करेगा
  2. यह बिल औरतो को सशक्त बनाने और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक प्रतिनिधित्व देने में मदद करेगा।
  3. लेकिन कुछ लोगो का कहना है कि योग्यता के आधार को प्रभावित करेगा और पुरुष उम्मीदवारों के लिए चुनाव जीतना कठिन बना देगा।

महिला आरक्षण बिल के कुछ प्रमुख नियम या क़ानून 

  1. लोकसभा एवं राज्य सभा में महिलाओं के लिय कुल 33% आरक्षण प्रदान करना
  2. आरक्षित सीटो में सिर्फ महिला उम्मीदवारों को खड़ा करना
  3. इसके माध्यम से समान रूप से उम्मीदवारों को खड़ा करने के लिए राजनीतिक दलों को प्रोत्साहित करना।

mahila aarakshan bill एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है कुछ समय पहले 1998 में बाचपेयी सरकार ने लोकसभा में आरक्षण बिल को पेश किया था. तब भी विवाद बना था और फिर यूपीए सरकार ने 2008 में इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में राज्यसभा में पेश किया. वहां यह बिल नौ मार्च 2010 को भारी बहुमत से पारित हुआ. बीजेपी, वाम दलों और जेडीयू ने बिल का समर्थन किया था.

यदि यह बिल क़ानून बन जाता है तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को 33 % आरक्षण मिल जाएगा. इससे लोकसभा की हर तीसरी सदस्य महिला होगी. अर्थात महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिसमे किसी भी जाति की महिला को चुनावी उम्मेदवार बनाया जा सकता है.

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